सरदार वल्लभभाई पटेल के बारे में विस्तृत जानकारी
भूमिका :-
सरदार वल्लभभाई पटेल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी, प्रखर राजनीतिज्ञ और स्वतंत्र भारत के पहले उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री थे। उन्हें ‘लौह पुरुष’ (Iron Man) के नाम से जाना जाता है। भारत की एकता और अखंडता में उनका योगदान अतुलनीय है। स्वतंत्र भारत के निर्माण में उन्होंने जिस तरह से 562 रियासतों का एकीकरण किया, वह उन्हें भारतीय इतिहास में अमर बना देता है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा :-
वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाड गांव में हुआ था। उनके पिता झवेरभाई एक साधारण किसान थे और माता लाडबाई एक धार्मिक महिला थीं। वल्लभभाई ने प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल में प्राप्त की। उन्होंने स्वयं के प्रयासों से कानून की पढ़ाई की और इंग्लैंड से बैरिस्टर बनकर लौटे। वे एक सफल वकील बने, लेकिन उनका मन सदा राष्ट्र सेवा की ओर आकृष्ट रहा।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान :-
वल्लभभाई पटेल का राजनीति में प्रवेश महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन के दौरान हुआ। वे गांधीजी से अत्यधिक प्रभावित थे। 1918 के खेड़ा सत्याग्रह में उन्होंने किसानों का नेतृत्व किया और अंग्रेजों से कर माफ करवाया। 1928 के बारडोली सत्याग्रह में किसानों की जीत के बाद उन्हें “सरदार” की उपाधि दी गई।
सरदार पटेल ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कई आंदोलनों में भाग लिया। उन्होंने जेल की यातनाएं सहीं, लेकिन कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। उन्होंने गांधीजी के ‘सत्य और अहिंसा’ के मार्ग का दृढ़तापूर्वक पालन किया।
भारत का एकीकरण :-
भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद सबसे बड़ी चुनौती देश की एकता और अखंडता को बनाए रखना था। ब्रिटिशों द्वारा छोड़े गए भारत में 562 से अधिक देसी रियासतें थीं जिन्हें भारत या पाकिस्तान में सम्मिलित होना था। सरदार पटेल ने बतौर गृहमंत्री और उपप्रधानमंत्री इस कठिन कार्य को अपने कुशल नेतृत्व, रणनीति और दृढ़ इच्छाशक्ति से संभव किया।
हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर जैसी जटिल समस्याओं को उन्होंने शांतिपूर्ण तरीके (कभी-कभी सैन्य बल की सहायता से) सुलझाया। उनका मानना था कि अगर भारत को सशक्त और संगठित राष्ट्र बनाना है, तो इन रियासतों का एकीकरण आवश्यक है। यह कार्य यदि पटेल जैसे नेता के हाथों में न होता, तो भारत आज का भारत न होता।
प्रशासनिक योगदान :-
सरदार पटेल को आधुनिक भारत के प्रशासनिक ढांचे का निर्माता माना जाता है। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), पुलिस सेवा (IPS) और अन्य अखिल भारतीय सेवाओं को बनवाया और उन्हें राष्ट्र सेवा में समर्पित किया। उनका मानना था कि एक सशक्त प्रशासन ही देश को विकास के पथ पर ले जा सकता है।
व्यक्तित्व और सिद्धांत :-
सरदार पटेल एक दृढ़निश्चयी, निर्भीक और कुशल प्रशासक थे। वे अनुशासनप्रिय, न्यायप्रिय और स्पष्टवादी थे। वे हमेशा देशहित को सर्वोपरि मानते थे। उनका जीवन सादगी, निष्ठा और कर्तव्यपरायणता का आदर्श उदाहरण है। वे गांधीजी के सच्चे अनुयायी थे, परंतु आवश्यकतानुसार अपने निर्णय भी स्वयं लेते थे।
देहान्त और विरासत :-
15 दिसंबर 1950 को सरदार पटेल का निधन मुंबई में हुआ। उनकी मृत्यु राष्ट्र के लिए एक अपूरणीय क्षति थी। उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए भारत सरकार ने 31 अक्टूबर को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की। 2018 में उनके सम्मान में ‘स्टैचू ऑफ यूनिटी’ का उद्घाटन किया गया, जो दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है।
उपसंहार :-
सरदार वल्लभभाई पटेल एक ऐसे नेता थे जिन्होंने अपने साहस, नेतृत्व और दूरदर्शिता से भारत को एकता के सूत्र में पिरोया। वे न केवल स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी थे, बल्कि स्वतंत्र भारत के निर्माणकर्ता भी थे। उनका जीवन हमें देशभक्ति, नेतृत्व और सेवा की प्रेरणा देता है। भारत उनके योगदान को कभी नहीं भूल सकता। उनका नाम इतिहास में सदा स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा।
सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारत में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। तथा उनका स्वभाव बहुत सरल और पेशे से वकील था फिर भी उनकी सादगी हर मानव को चिंतनशील बना देते हैं।