Gandhi jayanti 2 October के बारे में विस्तृत जानकारी निम्नानुसार है तथा Gandhi jayanti 2 October को हर वर्ष मनाईं जाती है और इसी के अवसर पर हम विस्तृत जानकारी प्रदान कर रहे हैं Gandhi jayanti 2 october को हम हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं
भारतीय इतिहास में ही नहीं पुरे विश्व के इतिहास में एक ऐसा व्यक्ति है जो आज के युग में युवाओं का प्रेरणा स्त्रोत बना हुआ है जिन्होंने देशहित के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष के साथ कार्य किया। तथा उन्होंने आजादी के लिए विभिन्न आन्दोलन किए, लेकिन एक ऐसा नेता जिन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजी शासकों में भय और तानाशाह के रास्ते पर शासन करने की पद्धति को कमजोर किया।
महात्मा गांधी को भारत का राष्ट्रपिता या बापू के नाम से भी पुकारा जाता है। उनकी सत्य और अहिंसा की विचारधारा से मार्टिन लूथर किंग और नेलसन मंडेला भी काफी प्रभावित थे। महात्मा गांधी ने अफ्रीका में भी लगातार 21 वर्षों तक अन्याय और नस्ली भेद के खिलाफ अहिंसक पद्धति से अनवरत संघर्ष किया जिससे अफ्रीका में अंग्रेजों की मनमानी नीति काफी कमजोर हुई ।
Gandhi ji का पूरा नाम मोहन दास करमचंद गांधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक जगह पर हुआ । उनके पिता जी का नाम कर्म चंद्र गांधी था जो ब्रिटिश शासन के समय काठियावाड़ प्रदेश की एक छोटी सी रियासत के दीवान थे।जो कोई बहुत बड़ा पद नहीं था।महात्मा गांधी का विवाह महज 13 साल की उम्र में कस्तूरबा गांधी के साथ हो गया था। विवाह के दो साल बाद गांधी जी के पिता का निधन हो गया और पिता के निधन के ठीक एक साल बाद उनकी पहली संतान उत्पन्न हुई लेकिन दुर्भाग्यवश जन्म के कुछ समय बाद ही उसकी मृत्यु हो गई।
लेकिन फिर भी इन कठिन परिस्थितियों में भी गांधी जी ने अपनी हार नहीं मानी और 1887 में अहमदाबाद से हाई स्कूल की डिग्री प्राप्त की तथा कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद साल 1888 में उन्होंने लंदन से कानून की पढ़ाई करने का लक्ष्य तय किया।
प्रमुख गांधीवादी विचारधाराएँ :-
भारत के लिए दूर दृष्टि: भारत के लिए गांधीजी का दृष्टिकोण अंग्रेजों के शासन काल से राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त करने से भी आगे का था।
गांधी जी अच्छी नीति निर्माताओं में से एक है जिन्होंने हमें बहुत कुछ सीखाने का प्रयास किया है।
उन्होंने सामाजिक मुक्ति, आर्थिक सशक्तीकरण और विभिन्न भाषा, धर्म,जाति और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि में एकजुटता की साझा भावना का लक्ष्य रखा।
अहिंसा:- गांधी अहिंसा के समर्थक थे और उनका मानना था कि न्याय प्राप्ति तथा स्वतंत्रता के संघर्ष में यह ही सबसे शक्तिशाली हथियार है। अहिंसा के माध्यम से आप किसी को हरा सकते हैं।
उनका यह भी मानना था कि अहिंसा जीवन का एक अभिन्न अंग होना चाहिए कि केवल एक राजनीतिक रणनीति तथा यह स्थाई शांति एवं सामाजिक सद्भाव की ओर ले जाएगी।
गांधी एक ऐसे नेता थे जो प्रेम के माध्यम से लोगों को अभिप्रेरित एवं सशक्त किया करते थे।
भेदभाव के खिलाफ:- गांधी जी ने पूरे भारत की यात्रा की और देश के विभिन्न सांस्कृतिक विविधताओं अच्छे से देखा और समझा। वह लोगों को उन सामान्य चीज़ों को उजागर करके एक साथ लाए जो उन्हें एकजुट करती थीं ऐसा उनका विश्वास था। वे हर जाति वर्ग को समानता प्रदान करते हैं।
धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण:- गांधी हिंदू थे फिर भी उनका एक धर्मनिरपेक्ष भारत में विश्वास था जहां सभी धर्म एक साथ शांतिपूर्वक रह सकते थे। वह धर्म के आधार पर हुए भारत के विभाजन से बहुत दुःखी एवं चिंतित थे। वे भारत के विभाजन को तैयार नहीं थे।
सांप्रदायिक सद्भाव:- गांधी जी हर समय सभी समुदायों की एकता में दृढ़ विश्वास रखते थे और उन्होंने सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए संघर्ष के साथ काम किया। गांधी जी हर धर्म के लोगों को एक नजर में देखते हैं।
उनका मानना था कि भारत की ताकत उसकी विविधता में है और इसलिए इस विविधता का जश्न बिना डरे हम सब को मनाना चाहिए।
वह हिंदू-मुस्लिम विभाजन से बहुत दुःखी और चिंतित थे और उन्होंने दोनों समुदायों को एक साथ लाने का काम कड़ी सिद्धत के साथ किया।
आत्मनिर्भरता:- महात्मा गांधी जी आत्मनिर्भरता के पक्ष में विश्वास करते थे और उन्होंने भारतीयों को अधिक-से-अधिक तरीकों से आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित किया। अंग्रेजों निर्मित चीजों को उपयोग करने से मना किया।
उन्हीं के आदर्शों पर आज मोदी जी चल रहे हैं।
उन्होंने स्थानीय संसाधनों और पारंपरिक कौशल के उपयोग से हर घर में कुटीर उद्योगों के विकास को प्रोत्साहित किया।
आज के युग में गांधीवादी विचारधारा की प्रासंगिकता:-
उनके सत्य और अहिंसा के आदर्श गांधी के संपूर्ण दर्शन को आदर्शों के रुप में बताते हैं जो आज भी मानव जाति के लिए काफी प्रासंगिक हैं।
महात्मा गांधी की शिक्षाएं वर्तमान में और अधिक प्रासंगिक हो गई हैं जब कि लोग अत्यधिक लालच, व्यापक स्तर पर हिंसा तथा भागदौड़ भरी जीवनशैली का समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं। युवा शक्ति आज भी इन शिक्षाओं से काफी दूर है।
दलाई लामा ने कहा, “आज विश्व शांति और विश्वयुद्ध, अध्यात्म एवं भौतिकवाद, लोकतंत्र व अधिनायकवाद के बीच एक बड़ा युद्ध चल रहा है।” इन बड़े युद्धों से लड़ने के लिये यह ठीक होगा कि समकालीन समय में गांधीवादी दर्शन को अपनाया जाए।
गांधीजी का शिक्षा के क्षेत्र में भी विशेष योगदान रहा है। गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में रहकर कानून की डिग्री हासिल की थी। पेशे से वे वकील थे अंग्रेजों के गोद में रहकर उन्होंने काम करने का मन त्याग दिया और स्वतंत्रता के लिए कूद पड़े।
उनका मूलमंत्र था – ‘शोषण-विहीन समाज की स्थापना करना’। तथा उसके लिए सभी समाज को शिक्षित होना चाहिए।
gandhi jayanti 2 october को हम उल्लास और गर्व के साथ मनाते हैं।
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